खोरठा भाखाक उदभव आर बिकास

झारखंडें खोरठा सदानी परिवारेक एकगो मुइख आर हुबगर भाखा लगाय। मोटा मोटी 24 में से 15 जिलाक डेढ़ करोड़ लोक ई भाखा के परजोग कर हथ आर छेतरफल मोटा मोटी 'चौतीस हज़ार बरग किलोमीटर' ले  पसरल हे। ई आदिवासी आर सदान के जोर नरवा भासा हकइ।

खोरठा भाखाक जनम लेताइरें भिनु भिनु बिदवान गुला आपन मत देले हथ जकरा मोटा मोटी चाइर खंधाञ देखवल जाइल पारे

खोरठा भाखाक उदभव के सिधांत

  • प्रकृति प्राकृत सिधांत
  • सदानी सिधांत
  • मागधी अर्द्धमागधी सिधांत
  • भासा सिधांत

•       प्रकृति प्राकृत सिधांत

डॉ क़े झा: प्रकृति के साडा/ध्वनि के नक़ल से भेल हे। जइसे: टप-टप, झर- झर, सर-सर आरो आरो।

बुंदेक गिरेक से झर-झर,टप-टप  आवाज़। 

ठंडी हवा चलने से सुल- सुल। 

पात उडेक से हर हर।

आइजो अइसन सबद के परजोग धड़ धडाय के होवे हे।

कृष्ण चंद्र दासआला: आपन किताप खोरठा भासा ग्रहण‘ में लिखल हथ की खोरठा के जनम खरठा से भेल हइ जकर माने प्रकृति होवे हे जे बंगला उच्चारण के कारन खोरठा भई गेलइ। डॉ बी एन ओहदार जी इनखर मत से सहमत नाय हथ किले कि खोरठा में खरठा नाम से कोइ सबद नाय हे। 

श्री निवास पानुरी जी: खोरठा भासाक भीष्म पितामह आर वल्मीकि। इनखर अनुसार खोरठा प्रकृति से उपजल मानुसेक पहिल भाखा हके। खोरठा भासाक जनम देवइया ई दुनियाञ से सिराइ गेला माकिन ऊ लोकेक भाखा पीढ़ी दर पीढ़ी आइज तक जगजगाइ रहल हे।    

  •  सदानी सिधांत

ई सिधांत के जनम देवइया पिटर शांति नवरंगी हथ आर डॉ बी एन ओहदार, डॉ बी पी केसरी  समरथन देल हथ। 

पिटर शांति नवरंगी: सदनी लोकक मुँह से बहराइल भाखा। 

डॉ बी पी केसरी: आपन किताप झारखंडी भाषाओं की समस्या और संभावना‘ में खोरठाक सदनी पारिवारिक भासा माने हथ। 

भोगनाथ ओहदार जी: आपन किताब खोरठा भाषा एवं साहित्य (उदभव और बिकास)‘ में लिखल हथ कि झारखण्ड छेतरे आदिवासी गुला के बाद बाहरी लोक बौद्ध-जैन धरम के परचार, नून-तेल के बयपार, कलिंग जुध से बाहरी लोक हियां आइला आर आदिवासी लोकक संगे संगे रहे लागला। ई लोकवइन के मुँह से जे भासा बहरइले वोहे खोरठा कहल गेले।  

  • मागधी अर्द्ध – मागधी सिधांत

डॉ गजाधर महतो ‘प्रभाकर’: आपन शोध पतर ‘खोरठा लोककथा: बिसइ आर बिसलेसन‘ – मगध छेतर से भिनु भिनु समय आर भिनु भिनु कामे जे लोक आइल हथ ऊ सब के भाखा रुपे खोरठा के जनम भलइ। 

डॉ बिनोद कुमार जी – शोध पतर खोरठा लोकगीतों में सांस्कृतिक अध्ययन – भारतेक मोटा मोटी सोब भासाक आधार प्राकृत हके आर अहे भासा अपभ्रंश रुपे मागधी – अर्द्ध मागधी खोरठा रुपे झारखण्ड राइजे डंडाइल हे। प्राकृत à मागधी à अर्द्ध मागधी à खोरठा

  • भासा सिधांत

डॉ के झा जिक मत: खोरठा भासाक नामजइजका बिदबान। आपन लेख खोरठा एगो सकत सवतंतर भाखा‘ (1982) में लिखल हथ – खोरठा सबसे पुरना लिपि आर भासा खरोष्ठी से खोरठा बनल हे।

खरोष्ठी से खोरठा वइसने बनल हे जइसन मुखोपाध्याय से उपध्याय, ओझा से झा आरो- आरो।  

डॉ जॉर्ज अब्राहम गियर्सन: आपन भासा सर्वेक्षण के किताप में हज़ारीबाग़ के आस पास के भासा के खोरठा कहल हथ।

डॉ संपति आर्यानी आपन शोध ग्रन्थ – मगही भासा आर साहित्य में खोरठाक पूर्वी मगहिक रूप कहल हथ।

डॉ ब्रज मोहन पांडेय नवीन: के बिचार हइ कि खोरठा हिन्दी के बोली लागय।

माइर कुइट के कहल जाइल पारे कि खोरठा भाखा परकिरति से जनमल खोरठांचाल के माय कोरवा भाखा लागे। पुरना परिया समय से भिनु भिनु छेतर से लोक हियँ आय के बसल हथ जकर से ई भाखाञ बाहरी सबद के गढ़िया परभाव परले। ई भाबे खोरठा एगो मेसर कोसर रूप बिकसित भेलइ। 

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