खोरठा लोकबाइन खोरठा समाजेक, बेबसताआर सनसकिरति केआइना हके, ई बाइत के पटतइर देइ के फरिछ करा।

 खोरठा लोकोति

लोकोति (लोकोक्ति) बा लोकबाइन सबद लोक + उक्ति से बनल हे जकर माइने लोकक कथन बा उक्ति होवे हे। ई ‘पुर्ण’ आर  सवतनतर रहे हे।  एकरा अंग्रेजी में Proverb कहल जा हे।  ई मानुसेक ढंगा गढ़िया अनुभव पर ओठंगल हे आर इतिहास , परंपरा, सनसकिरिति के छापा छोड़े हे।

 जखन ककरो कोनहो सिख, गियान दियेक बा फिंगाठी करेक समय आवे हे तखन लोकबाइन फुइट बहरा हे आर सामने वाला पर रंग जमाइ दे हे।

खोरथांचलें लोकबाइन के परजोग डेगे – डेगे हइ।  ई खोरठा समाज लोकक गियान के पोखता कर हे जकर से बुइध आर गियान के किरिन फुइट बहरा हे।  लोकबाइन बा कभाइत हमिन के जीवन के सोभे पहलु के छुवे हे आर समाजेक सोभे बरग बूढ़ा, छउआ, जुवान , मेहरारू  एकर परजोग धड़धडाइ के करे हथ।  दोसर सबदे कहल जाइ पारे की नाय चाहलु ईटा फुइट बहरा हे आर एहटा एकर खूबसूरती हे।

खोरठा लोकबाइन कि भाबे खोरठांचल के परकिरीति , अनुभव, ठेठ – भाखा, परमपरा आपन कराञ नुकाय राखल है ईटा हेठे कुछु पटतइर से देखल जाइल  पारे :

खोरठाक आपन बिसेसता हे जे हेठे उखरवल जाइल पारे:

परकिरतिक छापा

खोरठांचल नाना रकम के उपमा जइसे गाछ, बिरिछ , चीराञ, चिनगु , नदी, नाला, जोरिआ आरो आरो से भरल हे। ई सोब के परजोग खोरठा लोकबाइने सोझे देखल जाइल परे।  जइसे

झार गुने झींगा आर धिया गुने पुता।

नवा मदारी होरहोरवा सांप।

सइ पारसेक तीन पात।

छुछुआ मारी हांथ गंधाय।

खोरठाक ठेठ आर सोझा सबदेक परजोग

लोकबाइने खोरठाक ठेठ सबद के परजोग ढंगा हे आर एकर से फुरछा है की एकर  जनम निचित रुपे अजगड़ देहाइत , बउने, खोहे, प्रकिर्तिक मइधे भेल हतइ। 

कुछ पटतइर देखल जाइल पारे :

छगरिक गोड़े तेल दियेक।

ढोढेक मंतर नाय जाने आर नागे हाथ। 

तुरी मोरे आपन लूरि।

पाइरकल बभना घुइर घुइर अंगना।  

खोरठांचाल के पुरना अनुभव के छापा

ईटा खांटी बाइत हके कि कोनहो भासाञ लोकोति के भाव एके रकम रहे हे आर गढ़िया अनुभव के दरसन करावे हे।  एहे रकम खोरठांचले पुरना परिया अनुभव के छाहा लोकोति में देखल जाइल परे। जइसे :

चासा चिनहाय आइरे आर तांती   चिनहाय  पाइरे। à

अनारी जोते कनारी आर सियान जोते बहियार। à  

चिकन देहि गुलगुल भात कते दिन देतउ भात।à

हांसीठाठा मनोरंजन में परजोग

खोरठा छेतरे बैठकी एक जो समञ बितवेक साधन लागे, लोग बइठ के थकनी मेटवे हथ आर फुरसत के समञ   हांसी ठाठा , फिंगाठी में बाते-बाते लोकतिक परजोग करे हथ।  दुइ-चाइर पटतइर से बुझल जाइल पारे :

जखन कोई आपन बा दोसराक बड़ाइ कर हे तखन कोइ बइजक पारे हे

” बोड – बोड बोहाइ गेला गधा कहे कते पानी ” .

जखन कोइ जिमेदारी के काम कारक कोसिस करे हे आर नाय करे परेले कोई फिंगाठी मारे हे :”नवा मदारी आर होरहोरवा सांप “

जाइत समबनधी 

खोरठा छेतरे नाना रकम के जाइत के लोक रहे हथ आर एकर छाहा लोकोति में देखल जाइल पारे।

पइरकल बभना घुइर घुइर अंगना।

एगो जोल्हायं हाट नाय लागे।

खोरठा जीवेनेक आया दरसन

खोरठांचल के रहन सहन , बिचार, सनसकिरति , खान-पान आरो  आरो के भाव से ढेरे लोकोतिक जनम भेल हे आर हियां ई सोब के धड़धडाय के परजोग होवे हे।  कुछ पटतइर देखल जाइल पारे :

उठ छोड़ी तोहरे बिहा पुरना समय में हियाँ बेटी के कमे उमरे बिहा दइ दियल जा हलइ आर जिमेदारी आइ जा हलइ।  सही रकम ई लोकोति जलदी जिमेदारी दिएक में लियल गेल है।

एगो के सुहे एगो के दुहे : दुइ रकम बेबहार।  खोरठा छेतर के आसमान बेबहार से भाव लियल गेल हे।    

 

माइर कुइट के कहल जाइ पारे कि खोरठा लोकबाइन/खोरठा लोकोति आपन आलो (प्रकाश) में ई छेतर के भासिक,सामाजिक, परकिरतिक पिरिसटभूमि के आया दरसन करावे हे।  चाहे फिंगाठी करेक  बा चाहे गढ़िया गियान दियेक   सोभे समय लोकबाइन उपर उखरवल  खोरठांचल के बेबसता आर सनसकीरति के आइना बइन के चाइर चाँद लगाइ दे हे जकर में हमीन आपन खोरठा छेतर के भिनु भिनु फोटो देखल पारे।  

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