परकिरतिक आधार
खोरठा भासाक आधार परकिरति हइ किले की ढेर अइसन ध्वनि पावल जा हे जकर जनम परकिरति से भेल हे। जइसे:
हवा चलेक समय हर हर के आवाज़/साडा/ध्वनि बहरा हे। हरहरइ के चल रे। बुंद गिरेक से टप टप के ध्वनि आरो आरो।
मगधी प्राकृत आधार
खोरठा छेतर मगध साम्राज्य के भीतर आवे हलइ सइ ले खोरठा भासाक आधार मागधी प्राकृत के मानल जाइल पारे। मुदा खोरठे मागधी प्राकृत के धवनिगत बिसेसता से मेल नाय खा हे।
मगधी में ‘र’ ध्वनि ‘ल’ में बदइल जा हे – जइसे राजा à लाजा।
मगधी में तीनो ‘श’, ‘स’ आर ‘ष’ के बदल ‘श’ के परजोग होवे हे मुदा खोरठें ‘स’ के परजोग होवे हे।कहें कहें ‘ष’ के बदले ‘ख’ के परजोग के चलन हे।
जइसे : भाषा →भाखा , बर्षा → बरखा , धनुष →धनुख , धनुस आरो – आरो।
मगधी प्राकृत में ‘ज’ के बदलाव ‘य’ में भइ जा हे। जइसे – जजात à ययात। मुदा खोरठे ‘य’ के परजोग नाय के बराबर हे आर ओकर जगह ‘अ (इ + अ ) ‘ के होवे हे। जइसे : सियार à सीआर , याद à आद आरो आरो।
खोरठा आर पाली भासा
खोरठा आर पाली भासा में कुछ समानता पावल जा हे, पाली नामेक जनम ‘पंक्ति’ से भल हे खोरठा में एकरा पाइंत कहल जा हे। मागधी में ‘र’ ‘ल’ में बदल जा हे आर पारी पाली भइ गेले।
पाली के ध्वनिगत बिसेसता खोरठा से मेल खा हे जइसे: ऐ ,औ ,श , ष , ऋ , लृ , बिसर्ग(:) के परजोग नाय हे मुदा ‘श’, ‘ष’ के बदल ‘स’ , ‘ऋ’ के बदल ‘रि’ के परजोग पावल जा हे।
जखन बौद्ध परचारक खोरठांचल अइलइ तखन हियां धरम परचार करेक समय एगो नया भासाक जनम भेलइ जकरा सदनी भासा कहल गेले आर खोरठा सदनी भाखाक एगो भेद लागइ।
बिदेसी भासाक परभाब
खोरठा छेतरे भिनु भिनु समय में भिनु भिनु मत, संप्रदाय, जगह के लोग आइ के हियां बसल हथ आर ई सब के परभाब हियाँक भासा में गढ़िया रुपे पावल जा हे। जइसे : वजह ओजह , वजन – ओजन आरो आरो। ‘व’ – ‘अ’ में बदल गेल हे।
खोरठा किरिया पद सामान्य बरतमान काल में ‘ओ’ परतिआइ जुइट जा हे आर ई परबिरति दामोदर नदी पूरबी सिआडी से कोडरमा घाटी तक पावल जा हे। जइसे करो हे, पढ़ो हे, सुनो हे आरो आरो। ई परबिरति मगही , भोजपुरी में एक दमे नाय पावल जा हे।
महाप्राणीकरण: खोरठा के खास बिसेसता महाप्राणीकरण के परबिरति हे जइसे :
क → ख, ग →घ, च →छ ,ज →झ , ट →ठ , ड →ढ , त → थ ,द →ध, प →फ , ब →भ
महाप्राणीकरण : केकड़ा → खखड़ा , पेड़→फेड , करवहीं → करभी आरो आरो।
अल्पप्राणीकरण : सक्त → सखत ,
घोसीकरण : साक→ साग , भक्त → भगत (क अघोस ग में बदइल गेल हे)।
खोरठा सबद समपदा
खोरठा सबद गोछ के मोटा-मोटी पांच भागे बांटल जाय परे।
१) ठेठ सबद २) द्रविड़ भासाक सबद ३) ऑस्ट्रिक भासाक सबद ४) संस्कृत भासाक सबद ५) बिदेसी भासाक सबद
१) ठेठ सबद: परकिरितिक धवनि से जनमल सबद। जइसे –
रट-रट — लकडी कर टुटले आवाज़
टप-टप — पानी के बूंद गिरे से आवाज़।
सर-सर — हवा चलेक से आवाज़।
परपरा, चरचरा, करकरा आरो आरो।
खोरठे नाता गोता के आधार वाला सबदवइन एके ध्वनि के दोहरावल से बनल हे जइसे: मामा, काका ,काकी , नाना आरो – आरो।
२) द्रविड़ भासाक सबद: द्रविड़ भासा परिवार के कुड़ुख भासा के सबद खोरठे तलियाल हइ जइसे : लेबदा , लुगा,गाढ़हा,ढेका आरो – आरो।
३) ऑस्ट्रिक भासाक सबद: खोरठे ऑस्ट्रिक भासाक ढेर सबदवइन खाइस कर मुंडारी भासाक सबद पावल जा हे। जइसे: बरदा, दीपा, ढेंकी, काठ, बडातु ,सुकुरहातु , पतरहातु आरो – आरो।
४) संस्कृत भासाक सबद: खोरठा भासाक कुछ सबदवइन संस्कृत भासा से लियल आइल हे। जइसे: चलति à चलइत, करोति à करइत आरो आरो।
५) बिदेसी भासाक सबद: स्कूल(इसकुल), मैनेजर (मनिजर), डिग्री (डिगरी) आरो आरो।
६) खोरठाक बिसेस सबद
कुछ सबद हिंदी जइसने वर्तनी धारन करे हे मुदा ओकर अरथ फरक होवे हे। जइसे : पूजा→बलि देना , साधक→ परेशान करेक , कुटिआ→मास के पीस , कटि → थोड़ा सा
आर्य आर अनार्य परिवार के भासा से संबंध
खोरठा सदानी पारिवारिक एगो मुइख भासा हइ। मूलरूपे सदानी पारिवारें खोरठा, नागपुरी , कुरमाली आर पंचपरगनिआ भासा आवे हे। सदान के भासा आदिबासी भसवइन संगे मेसाइ गेल हे आर ई कारने सदानी भसवइन के लसतंगा आदिवासी भासा से ढेर पुरना हे। खोरठा परकिरति के बारे में खोरठा के धुरंधर बिदबान डॉ ऐ के झा एकरा अनार्य पारिवारेक भासा माने हथ। उनखर कहना हइ कि खोरठा के परकिरति झारखण्डेक आदिबासी भासा से मेल खा हे। मुदा खोरठा के आरो बिदबान ई भासा के आर्य परिवार के भासा माने हथ किलेकि खोरठा बइजके बाला आदिबासी भसवइन समझे बुझे हे बचकुन आर्य परिवार के अइन भसवइन के समझे बुझे पारे हथ।
मनेक ‘बोधगम्यता’ आर्य परिवार संगे हे। आइज तक के सोध से पता चलल हइ की खोरठा आर्य परिवार के सदइस लगाय।
समपरक भासाक रुपे खोरठाक बेबहार आदिबासी समुदाय में होवे हे। जइसे कोनहो संथाल, मुंडा , उरांव ,हो,खड़िआ,बिरहोर आरो आरो आदिवासी लोक सदान से बातचीत करे हथ तखन खोरठाक समपरक भासाक रुपे बेबहार करे हथ।
आर्य परिवार के भासा होवेक नाते खोरठे हिन्दीए रकम नागरी लिपिक ‘ वर्णमाला’ के परचलन हे। जइसे :
कंठ – अ , आ , क , ख , ग ……..
तालव्य – इ , ई , च , छ , ज … …
दंत – स,त , थ …….
ओष्ठ – उ , ऊ , प , फ , ब ….
कंठ तालव्य – ए , ऐ
कंठोष्ठ – ओ, औ
दन्तोष्ठ – प, ब
खोरठा सदानी सबदवइन परकिरति इंगित होवेक चलते कुछ अपन ‘ध्वनि’ के रचना करल जा हथ। जइसे : खोरठे कपकपी के ‘अनुमान’ करले कहल जा हे , सुल सुला हइ ओकर तनी आर गति पकरले कहल जा हे की हर – हरी चले हे.
आर ई नियर उपर उखरवल पटतइर से पता चले हे कि खोरठा आर्य परिवारेक भासा हइ। खोरठे आर्य परिवार के मगही , बांग्ला , मैथिलि भसवइन से ढेरे सबदवइन आइल हइ। खोरठाक आपन लिपि नाय हइ आर देबनागरी लिपि से काम चलवल जाइल रहल हइ। देवनागरी लिपि आर्य लिपि हइ ताय जाहिर हइ किखोरठा भासाक लसतगा आर्य परिवार के बहसवइन से गढ़िया हइ।
ई तरि कहल जाइल पारे की खोरठा भासा परकिरतिक कोराइन – काँखे जनमल बढल झारखण्डी मनुखेक एकगो मायकोवा भाखा हके। समयेंक साथ आर बहरी लोकक परभाव के कारने बिदेशी, अनार्य भाखाक ढेरे सबद गुला खोरठें आपन थान बनाइ लेल हे। एखन एकर सिसट सहित बिकासमान हे आर छउवा कलास से लइ के पीएचडी-एमफिल तक एकर पढाई होइ रहल हे। बिदवान गुलाक मेहनत से जलदीये हमिन खोरठाक आपन निज लिपि देखे पारब।
To be be con..